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समाज के बदलाव की कहानी

  • दैनिक भास्कर, कोटा, शनिवार, 27 जुलाई, 2024

  • गुर्जर समाज में इन दिनों बड़ा बदलाव देखने को मिला। जाति के भेद को खत्म कर गुर्जर समाज के लौर, खारी, गाडरी एक मंच पर संगठित हो गए हैं और अब इनमें बेटी का ब्याह भी होने लगा है। वहीं विशेषकर गुर्जर आंदोलन के बाद हमारे युवा शिक्षा की और अग्रसर हो रहे हैं, बड़ी-बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं को पास कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह पर भी रोक लगी है और समाज की कुरीतियों जैसे चूडियों का प्रोग्राम, मृत्युभोज, नाता प्रथा आदि पर रोक के लिए सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी मुखर होकर जागरूकता फैला रहे हैं। इन कार्यक्रमों में गांव का भोजन करना होता है, इसमें हजारों की संख्या में समाज के टॉक शो में शामिल पदाधिकारी लोग आते हैं, इससे जागरूकता का असर भी देखने को मिल रहा है। झालावाड़ जिला, हिंडोन क्षेत्र में बिल्कुल ही मृत्यु भोज बंद कर दिया गया है। यह बात भास्कर सरोकार के तहत टॉक शो में राजस्थान गुर्जर महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष मन्नालाल गुर्जर ने कही। टॉक शो में गुर्जर महासभा के अध्यक्ष डॉ. बीएल गोचर, महामंत्री

  • मनोहर कुवाड़ा, पूर्व सरपंच मनमोहन धामई, देवसेना अध्यक्ष हरीश खटाणा, प्रदेश संयोजक नंदलाल कसाणा, संभागी अध्यक्ष लोकेश पोसवाल सहित अन्य मौजूद रहे।


  • इस दौरान हाड़ौती गुर्जर महासभा के जिलाध्यक्ष डॉ. बीएल गोचर ने भास्कर द्वारा चलाई गई मुहीम एक बहुत अच्छी पहल है। इसका


  • गुर्जर समाज का बड़ा बदलाव : लौर, खारी, गाडरी एक मंच पर आए अब इनमें रिश्तेदारी शुरू, कुरीतियों के खिलाफ फैला रहे जागरुकत


फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गुर्जर समाज के लोगों को हो रहा है। वे पहले की अपेक्षा जागरूक हुए हैं। मृत्युभोज कम करने लगे हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्रों में दो-दो बोरी शक्कर मृत्युभोज मे लग जाती थी और वो परिवार कर्जे के नीचे दबा रहता था। आज वहीं लोग इन पैसों को युवक-युवतियों की पढ़ाई में लगा रहे है। समाज के 200 युवा डॉक्टर बने हैं, 40 आरएएस और आरपीएस में है। संगठन समाज के लोग किसी गरीब बच्चे या बच्ची को शिक्षा के लिए मदद उपलब्ध करों है। देवसेना के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश गुर्जर ने बताया कि पास सालभर से 15-20 बच्चे गुर्जर समाज अपनी आगे की पढ़ाई के लिए मदद लेने आते हैं, उनकी मदद की जाती है और उनको निशुल्क कोचिंग प्रदान की जाती है।


  • बावना प्रथा का विरोध कर लोगों को कर रहे जागरुक देवसेना के संभागीय अध्यक्ष लोकेश पोसवाल ने बताया कि गुर्जर समाज प्रदेशभर में है। ग्रामीण क्षेत्रों में हमारे समाज के लोग रहते हैं। कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में दो लाख गुर्जर की संख्या है। बावनी प्रथा का भी विरोध हुआ है। इसमें व्यक्ति की मौत बाद उसके समाज के सारे लोगों का मृत्यु भोज होता है, वहीं विवाह में हजारों लोगों का खाना-पीना होता है। इससे व्यक्ति कर्ज के तले दब जाता था। इस प्रथा को भी बंद किया जा रहा है।


  • समाज की वैवाहिक वेबसाइटः समाज सेवी अंकित गोचर ने बताया कि समाज में अविवाहित युवक-युवतियों के लिए रिश्तों के लिए परेशानी सामने आ रही है। इसे देखते हुए समाज के सभी संगठनों व प्रबुद्धजनों से वार्ता करने के बाद गुर्जर समाज की निशुल्क वैवाहिक वेबसाइट का निर्माण कराया गया है, जिसमें डाटा अपना विवरण निशुल्क डाला व देखा जा सकता है। इसे एक सरल स्वच्छ भाषा में निर्मित किया गया है।


  • निशुल्क कन्या विवाह शुरूः देवसेना के प्रदेश संयोजक नंदलाल कसाणा ने बताया कि कुरीतियों को रोकने के लिए अभियान चलाए हैं। पिछले तीन साल से समाज के युवाओं के साथ मिलकर निशुल्क विवाह सम्मेलन के आयोजन किये गए हैं। आने वाले समय मे पौधरोपण अभियान भी शुरू किया जाएगा। संगठन के माध्यम से में कहना चाहता हूँ जब सरकार के द्वारा मृत्युभोज पर पाबंदी लगा दी है तो समाज के लोगो को इसे पूर्णरूप से सीमित लोगो तक कर देना चाहिए।

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महेंद्र जी के द्वारा यह बहुत अच्छा कार्य किया जा रहा है इसके लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं इस साइड से समाज को बहुत बड़ा लाभ मिलेगा सबसे बड़ी समस्या बच्चों की शादी की है जो इसके माध्यम से घर बैठे हल हो रही है। धन्यवाद।

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